स्वामी प्रेमानन्द जी के नेतृत्व मॅ सन् १९६४ मॅ एक अतिस्मरणीय डिवइन लाइफ कान्फरेन्स आयोजित किया गया था | तत्पशचात् स्वामी जी बारह वर्ष तक शिवानन्द आश्रम के सचिव पद पर कार्य करते हुए इनके द्वारा जिस परिश्रम, लगन, निष्ठा व कुशलता से आश्रम की व्यवस्था का संचालन किया गया, वह आश्रम के संतॉ द्वारा आज भी याद किया जाता है |
गुरुदेव शिवानन्द एवं दिव्य जीवन संघ आध्यात्मिक ज्ञान की मशाल लेकर स्वामी जी ने दो बार (प्रथम ः नवम्बर १९७६ से मार्च १९८०, द्वितीय ः सितम्बर १९९३ से अप्रैल १९९४) विदेश जाकर, यू.ए., कनाडा सहित कई देशॉ का भ्रमण करते हुए विदेशियॉ एवं प्रवासी भारतीयॉ के ह्रदय को ज्ञान के प्रकाश से आलोकित किया |
स्वामी शिवानन्द जन्म शताब्दी समारोह के द्विवर्षीय आयोजन (१९८५ - ८६)मॅ आयोजन प्रमुख की भूमिका मॅ इनके नेतृत्व मॅ चारॉ दिशाअऑ मॅ भारत भ्रमण पद-यात्रा कर गुरुदेव शिवानन्द के दिव्य संदेशॉ सेवा, प्रेम, दान, भक्ति, भले बनो-भला करो, दिव्य जीवन जीने की कला तथा मानव जीवन के एक मात्र उद्देश्य "प्रभू साक्षात्कार" का अनेक प्रदेशॉ मॅ सघन प्रचार किया गया |
परम पूज्य स्वामी प्रेमानन्द के कुशल नेतृत्व मॅ दिव्य जीवन संघ मुख्यालय द्वारा प्रायोजित सन् १९९० से १९९९ तक चले 'दिव्य-दशक' कार्यक्रमॉ का उद् घाटन तत्कालीन उपराष्ट्रपति डा० शंकर दयाल शर्मा जी द्वारा ५ अगस्त १९९० को दिल्ली मॅ किय गया | इस दस-वर्षीय महती योजना मॅ अतयन्त गरीब तथा आदिवासी क्षेत्रॉ के अनेक गांवॉ मॅ भोजन, वस्त्र, आवास, चिकित्सा, जल आपूर्ती आदि संसाधनॉ को जुटा कर हजारॉ ह्जार आदिवासियॉ व गरीबॉ को शिक्षा व्यव्स्था देकर भगवत ज्ञान से प्रकाशित किया गया |
विश्वमयी - अन्तर्राष्ट्रीय दिव्य जीवन कान्फरेन्स (३० दिसम्बर १९९९ से २ जनवरी २०००)मॅ दिव्य दशक के समापन के अवसर पर परम पूज्य स्वामी प्रेमानन्द जी महाराज द्वारा देश विदेश से पधारे संतॉ व प्रबुध जनॉ की पांच हजार से अधिक भक्तॉ से युक्त सभा को संबोधित किया गया | स्वामी जी द्वारा बीती शताब्दी की प्रगति का आंकलन प्रस्तुत करते ब्रह्माण्ड एवं नियामक सत्त्ता की विराटता से परिचय देने के साथ -साथ ओजस्वी व प्रभावशाली शैली मॅ आगामी नव सहस्त्राबदी मॅ मानव को किस प्रकार का जीवन जीना चाहिए समझाया गया | स्वामी जी का अत्यन्त उपयोगी प्रवचन सुनकर देशी-विदेशी व अप्रवासी भारतीय धन्य-धन्य कर आविर्भूत व गद् गद् हो गए |
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